*|| मछराळी मां मोगल ||* . *रचना : दोलतदान अलराजजी बाटी* . *संपादीत: जोगीदान गढवी (चडीया)* . *राग : चारणी रास* ओखा धरा मां आई तारो अवतार छे, थडा अगणीत मां करी ने बेठी थान रे ..मछराळी मा मोगल.. दैवत तारुं देखाय छे आखाय देस मां...टेक जोग सिद्धि तुं महा समरथ छो जोगणी, धुंनमां तारे कोई नां पोगे न ध्यान रे .मछराळी मा मोगल.. दैवत तारुं देखाय छे आखाय देस मां.. प्रांण रुपे व्यापीत छो अगणींत पींड मां, मात भवानी तुं ऐक स्वरे छे महान रे .मछराळी मा मोगल.. दैवत तारुं देखाय छे आखाय देस मां.. हाक तारी अगणींत सादुळांय हूकता उदो करे त्यां गुंजी उठे आसमान रे .मछराळी मा मोगल.. दैवत तारुं देखाय छे आखाय देस मां.. चारणां रे व्रण नी साची मातुं चंडीका.. दास तारो शीस नमवे दोलत दान रे .मछराळी मा मोगल.. दैवत तारुं देखाय छे आखाय देस मां.. 🙏🏻🌞🙏🏻🌞🙏🏻🌞🙏🏻
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